चिड़िया
चिड़िया तू मगन घूमे मगन
कहा  जाना है नहीं पता
बोली पवन कहा है  तेरा ठिकाना
चल  ऊड  एक पेड   से दूसरे पेड  तक
जहा हो तेरे सजन
पेड़ो की डाल  पर
 नदी के  किनारे,
जहा मन हो वही
पंख फेलाकर ऊड जाना
कही  दूर  देश को,
जहा से  तुम्हे मिले
अपनी डगर
  कोई पहचान नहीं
कोई  अरमान नहीं
ऊड  रहे है आसमान में,
जा अपनी दुनिया में जा
कोई नहीं  पहचानता तुझको
जा चिड़िया  ऊड जा
अपने घर  को  फिर
हो जा मगन

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत ही बढ़िया


सादर

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