सिजोफ्रेनिया

  


सिजोफ्रेनिया  एक गंभीर मानसिक विकार है जो एक व्यक्ति की सोच, धारणाएं, भावनाओं और गंभीर व्यवहार में गड़बड़ी की विशेषता को चिन्हित करता है अर्थात व्यक्ति के मतिभ्रम , भ्रम और अव्यवस्थित सोच और व्यवहार का मिश्रण है।


मतिग्रम मतिभ्रम में ऐसी चीजे देखना और आवाजे सुनना शामिल है जो इसरो द्वारा नही देखी जाती।

भ्रम भ्रम में ऐसी चीजों के बारे में दृढ़ विश्वास शामिल होता है जो सच नहीं होती है शिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग वास्तविकता से संपर्क हो सकते हैं जिससे दैनिक जीवन बहुत कठिन हो सकता है।  

असंगत विचार विचारों को व्यवस्थित करने या तर्कसंगत तरीके से सोने में कठिनाई होना।

भावनात्मक लक्षण यथा उदासी, उदासीनता और भावुकता रहेगा लोगों से दूर रहना और सामाजिक गतिविधियों से बचते हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों के व्यवहार में बदलाव आ जाता है। सिजोफ्रेनिया किस कारण होता है क्या यह पता नहीं चल पाया परंतु शोधकर्ताओं का मानना है कि अनुवांशिकी मस्तिष्क रसायन और पर्यावरण का मिश्रण इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों का आमतौर पर 16 से 30 वर्ष की आयु के बीच विकृति के पहले प्रकरण के बाद निदान किया जाता है। सिजोफ्रेनिया के तीन लक्षण मुख्य श्रेणी में आते हैं

मनोविकृति नकारात्मक और संज्ञानात्मक 

मनोविकृति लक्षण मनोविकृति के लक्षणों में व्यक्ति के सोचने, कार्य करने और दुनिया के अनुभव करने के तरीके में परिवर्तन शामिल है। कुछ लोगों में यह लक्षण आते-जाते रहते हैं। दूसरों में लक्षण समय के साथ स्थिर हो जाते हैं। मनोविकृति के लक्षणों में मति भ्रम भ्रम और विचार विकार शामिल है।

नकारात्मक लक्षण नकारात्मक लक्षणों में प्रेरणा की कमी, दैनिक गतिविधियों में रुचि या आनंद की कमी, सामाजिक जीवन से दूर रहना, भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई और सामान्य रूप से कार्य करने में कठिनाई शामिल है। रोजमर्रा की जिंदगी में खुशी का अनुमान लगाने और उससे प्रेरित होने में परेशानी होना, सुस्त आवाज में बात करना, और चेहरे पर सीमित भाव रखना। चरम मामलों में व्यक्ति कुछ समय के लिए  बात करना बंद कर सकता है जो  एक दुर्लभ स्थिति है जिसे catatonia कहा जाता है इन नकारात्मक लक्षणों को कभी-कभी अवसाद या अन्य मानसिक बीमारियों के लक्षण समझ लिया जाता है।

संज्ञानात्मक लक्षण संज्ञानात्मक लक्षणों में ध्यान, एकाग्रता और स्मृति से जुड़ी समस्याएं शामिल है। इसके कारण व्यक्ति बातचीत को समझना, नई बातें सीखना, कोई भी बात याद रखना मुश्किल हो सकता है।

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित ज्यादातर लोग हिंसक नहीं होते,       शिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को आम बीमारी से पीड़ित लोगों की तुलना में दूसरों द्वारा नुकसान पहुंचा जाने की संभावना ज्यादा होती है।  इस बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों की देखभाल बहुत सलीके से करनी चाहिए। इस बीमारी से ग्रसित लोगों में संदेह, संदेहास्पद ,भयभीत महसूस करना, अवसाद, चिंता, अपनी परवाह न करना, आत्महत्या के विचार आ सकते हैं।

     यह एक गंभीर और मानसिक बीमारी हो सकती है इसका इलाज अपने जीवन शैली में बदलाव और अन्य रणनीति अपनानी होगी। जिससे इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति सामान्य जीवन जीने की ओर अपने कदम बढ़ा सके।

गरिमा लखनवी

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