ज्योतिष और विज्ञानं

वेद का छठा अंग ज्योतिष है। ज्योतिष कभी अंध विश्वास नहीं सिखाता है। ज्योतिष समय का विज्ञान है]जहा से विज्ञान समाप्त होता है ज्योतिष वही से शुरू होता है।  ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है विज्ञान को मुख्य रूप से भौतिक,रसायन,और जीव  विज्ञानं समझा जाता है। ज्योतिष और वेद हमें ज्ञान की अंतिम अवस्था में ले जाते है। जिसमे ज्योतिष मार्गदर्शन करता है। ज्ञान की इस अंतिम अवस्था को कर्म सायंस योग कहा जाता है। आज का विज्ञानं हमें ज्ञान केरास्ते पर ले जाता है, जो अन्नंत है। विज्ञानं पहले विचार करता है,फिर अध्यन और अवलोकन करता है, उसके बाद भौतिक सत्यापन करता है।
               ज्योतिष एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से भविष्य जाना जा सकता है। इसके अलावा दुनिया में ऐसा कोई भी अन्य माध्यम नहीं है। विज्ञानं से ज्योतिष को अलग ही समझना चाहिए। ज्योतिष और वर्तमान विज्ञानं की तुलना करना चाहे भी तो नहीं हो सकती। ज्योतिष काफी अधिक विकसित और अधिक विस्तृत्त है। शिक्षा,कल्प,व्याकरण,निरुक्त,छंद और ज्योतिष वैदिक ज्ञान के ६ अंग बने। ज्योतिष गणित है और गणित अन्धविश्वास नहीं होती। प्राचीन काल से ही भारत के साथ अन्य देशो के भी विद्वानो ने इन ग्रहो के पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों से अवगत कराया। ज्योतिष विज्ञानं भी अपनी गणितय आकड़ो से सौर मंडल के सभी ग्रहो की चाल का प्राणियों पर पड़ने वाले शुभ और अशुभ संकेतो को विश्लेषण करने वाली विद्या है। ज्योतिष विज्ञानं बहुत ही विस्तृत है इसकी पूर्णयता को कोई समझ नहीं पाता ।  ज्योतिष विज्ञानं के इतिहास में कोई सत्यापित दस्तावेज न होने के कारण अलग-अलग ज्योतिष जानकारों के तर्क-वितर्क में भिनता है। भविष्य में क्या होने कला है यह विज्ञानं नहीं ज्योतिष बताता है।
गरिमा 

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