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मैं नारी हूँ

में आधुनिक नारी हूँ स्वाभिमान से जीती हूँ खुद्दारी है जीवन में डर  का कोई नाम नहीं है परुषो से आगे आयी हूँ हर काम में लोहा मनवाया है खेलो में ही या हिमालय पर हर जगह अपना परचम लहराया है हर घर की शान हूँ मैं हर घर की पहचान हूँ मैं मेरे बगैर यज्ञ न होते न कोई पूजा होती पूरी नारी एक शक्ति है इसको क्यों नहीं मान लेते छाए हो व्यापार करना या हो राजनीती की बात हर जगह है मेरी पहचान नर नारी कदम मिलाकर चलते ऐसी मेरी वाणी है नारी एक चिंगारी है गरिमा