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अक्तूबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नया सवेरा

नया सवेरा आया बहुत सारी  खुशियाँ  लाया पर्वत पर छायी लाली दुनिया में एक नया दिन आया सब तरफ छायी खुशियाँ नया सवेरा आया सबके घर  में आने वाली ढेर सारी खुशियाँ भागेगा अँधेरा आयेगा उजाला सबको मिलेगी अपनी मंजिल गरीबी जायेगी सबके हाथो होगी तरक्की नया सूरज लाया अपार खुशियाँ बच्चो को मिली उनकी खुशियाँ सबको मिला पढ़ने का अधिकार देश का दिन भी है बदलने वाला नया सूरज सबके लिए लाया ढेरो खुशियाँ हर तरफ है खुशियाँ बिखरी सबके आँगन महका नया सवेरा आया

हिंदी की दुर्दशा

एक और हिंदी दिवस आ गया और हमने हिंदी को  याद कर  लिया लिया  तो क्या मात्र हिंदी दिवस मना लेने से इतिश्री होगा  हिंदी  की   दुर्दशा का  क्या  कहना आज तो अंग्रेजी भी  हिंदी में मिलने लगी है   आलम यह है कि हर जगह  अंग्रेजी  का असर है अब तो हिंदी भी अंग्रेजी का गुलाम हो गयी है, आज हिंदी रोती है कि आने वाली मुझे कैसे समझेगी मात्र हिंदी दिवस पर हिंदी को याद कर लेना काफी नहीं हिंदी चीखकर कह रही है कि मुझे बचाओ ! मुझे बचाओ पर उसकी चीख सुनकर भी हम अनसुना कर देते है