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विरह वेदना

पति जब पत्नी से मिला पत्नी बोली, हे प्राणप्रिये तुम नहीं थे तो लगता था जीवन नहीं है हे प्रिये तुम्हे मेरी याद आई या नहीं पति बोला, तुम ही मेरा जीवन हो तुम्हारे बिना कुछ नहीं है मेरा जीवन हे प्रिये जब सावन का मौसम आता तो तुम्हारी याद बहुत आती थी दिन सूने सूने लगते थे पत्नी ने कहा प्रिये अब न जाना मुझे छोड़कर  विरह के दिन  नहीं कटते कुछ भी अच्छा नहीं लगता ना सजना  ना सवारना हे प्रिये तुम हो तो सब है अब दूर न होना मुझसे नहीं तो में नहीं रह पाऊँगी 

रिश्ता

माँ बेटे का रिश्ता होता है अनमोल  रहता है अहसास माँ को अपने बेटे के दुःख दर्द का बेटा चाहे नालायक हो जाये माँ तब देती है दुआ, माँ होती है अनमोल क्यों नहीं समझ पाता  है बेटा उसका क्यों सताता है, लड़ता है उससे क्यों नहीं समझता उसके दिल का हाल पर माँ तो माँ ही होती है बच्चा कही भी उसका हर आहट  की पहचान होती है बेटा क्यों नहीं समझ पाता की माँ होती है अनमोल और जब माँ चली जाती है तो उसे होता है  अहसास, उसने क्या खो दिया फिर पछताने पछताने से क्या होता ? पर भूल   गए आज कल के  बच्चे माँ का क़र्ज़ कोई नहीं उतार पाता  ये रिश्ता होता है अनमोल