विरह वेदना
पति जब पत्नी से मिला पत्नी बोली, हे प्राणप्रिये तुम नहीं थे तो लगता था जीवन नहीं है हे प्रिये तुम्हे मेरी याद आई या नहीं पति बोला, तुम ही मेरा जीवन हो तुम्हारे बिना कुछ नहीं है मेरा जीवन हे प्रिये जब सावन का मौसम आता तो तुम्हारी याद बहुत आती थी दिन सूने सूने लगते थे पत्नी ने कहा प्रिये अब न जाना मुझे छोड़कर विरह के दिन नहीं कटते कुछ भी अच्छा नहीं लगता ना सजना ना सवारना हे प्रिये तुम हो तो सब है अब दूर न होना मुझसे नहीं तो में नहीं रह पाऊँगी