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उदास मन

नया साल नयी उमंगे फिर भी मन उदास है गोरी का क्या हुआ जो नहीं पूरी हुई हसरते, सब तरफ छायी है उमंगे तरंगे क्या हुआ जो नहीं आया पिया खुश रहने का मौसम है नयी बाते नयी उमंगे फिर क्यों तुम उदास हो क्यों फैला है चारो तरफ तुम्हारे अँधियारा एक दीप जलाओ खुशी का और रंग दो अपने मन को दूसरी कि खुशियो में क्या पता कितना है अँधेरा अपने दुःख भूल गोरी दूसरो के दुःख मिटाओ यही है नया साल फिर क्यों है मन उदास अब तो थोडा मुस्करा दो