जाड़ा का दिन
जाड़े की सुबह एक दिन सूरज की किरणें से खेलती तितली पूछती है दूसरी तितली से तुम इतनी उदास क्यों है वो बोली सब तरफ अंधकार है जब सूरज की किरणें आएगी तो क्या होगा मेरे देश का इसी चिंता में हूँ हर तरफ शोर है हर कोई बेकारी झेल रहा है जाड़े की सुबह सूरज निकलने से पहले ये चिंता सब तितली करती है क्या होगा मेरे देश का