संदेश

नवंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नारी सहने का नाम नहीं

नारी सहने का नाम नहीं है, नारी जननी है,नारी रक्षक है,   अगर नारी न  यह दुनिया बेगानी है, फिर भी क्यों होते जुल्म होते नारी पर पुरुषो का शिकार बनती है नारी पर फिर भी सहती है माँ, बेटी, बहन, भाभी है अनेको रूप इसके नारी को जाता है पूजा पूजा फिर भी कलयुग में रहे है सितम इस  पर  क्या जन्म इसलिए है नारी का इसे  सताया जाये जलाया जाये कब तक सहेगी नारी क्यों भगवान ने बनाया  सहनशील नारी नारी सहने का नाम नहीं है अब  एक चिंगारी है नारी ब   

बचपन

प्यारा बचपन न्यारा बचपन और  कितना दुलारा बचपन रोते  है हम चुप होते है फिर  सपनो में खो जाते है, परियो  की रानी आती है खूब हसाती खूब खिलाती कितना सुखमय बचपन न  कोई चिंता न परशानी सुनते  हम राजा की  कहानी नानी दादी हमें सुनाती हम न सोते  वो सो जाते कितना भोला बचपन बाते छोटी छोटी कहते  सब सुन हस देते प्यार  सभी को मिलता ऐसा प्यारा बचपन बचपन सुखमय होता है प्यारा और दुलारा बचपन 

स्वप्न बिकते है

 स्वप्न बिकते है बोलो  खरीदोगे कोई रोजगार  का स्वप्न बेचता  तो नेता महगाई कम करने का गरीबी हटाने का साधू बेचते है भगवान को पाने का  कहते है कई लोग  हम आपको  बना देंगे अमीर, हर कोई स्वप्न में है डूबा  अभी  आ रहे है चुनाव  सब को यही लालच है हम  बन जाये   अमीर कोई  काम नहीं करना चाहता कंपनी कहती है मेरा सामान खरीदो तो  तुम्हे मिलेगा सोना का सिक्का पर जनता है मुर्ख  वो ये नहीं समझती कोई   अपने घर से कुछ नहीं लाता सब जनता से  करते है स्वप्न  बिक रहे है सब सपनो में  जीते है  क्या होगा नोजवानो का  जो इन दिवास्वप्न में जीते है स्व्प्न बिकते है बोलो खरीदोगे   

नेताओ की लड़ाई

देश  के नेता  लड़ रहे है कुत्ते बिलिओ की  तरह, हर नेता को चहिये सत्ता भले ही जनता चाहे  हो कितनी फटेहाल हर पाँच वर्ष में यह है जागते  किसी को प्याज की चिंता तो किसी को याद आता है हिंदुत्व कुछ तो ऐसे है जो सजाये है ख्याब अगर सत्ता मिल जाये तो कैसे माल कमाये, जनता बिचारी फटेहाल कोई डूबा शेयर मार्केट में तो कोई महंगाई से परेशान चारो तरफ है नारा हमें वोट दो हमें वोट दो और उन नौजवानो का मिल गया गुजारा अब  उनको मिल रहा है काम कि नेता जी को वोट दिलाओ और हमसे माल कमाओ कहा जायेगी इस देश कि जनता हर नेता है  पैसे का भूखा किसको जिताओ भैया इससे अच्छा मुँह ढ़ककर  सो जाओ भैया 

अँधेरी रात में दिया कौन जलाये

अँधेरी रात है कौन दिया जलाये कोई प्रकाश  की  किरन नहीं कौन जग में दिया जलाये कल्पना के बीज बो दिए पर उजाले में वो दिवास्वप्न  लगता है, है बेरोजगारी  चारो तरफ मन है नोजवानो के अँधियारा अँधेरी रात है कौन दिया जलाये भटकाव का अँधियारा है प्रजा में है अँधियारा कोई राजा नहीं है जो दीप   जलाये  और अपने राज्य में अँधेरा मिटाये  हर तरफ अँधेरा है ऐसे में  सब मिल दीप जलाये अपने चारो तरफ का अँधेरा मिटाये अँधेरा बेरोजगारी का, भ्रष्टाचार का जातिवाद  का और अपने देश को जगमगाए