संदेश

अगस्त, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अयोध्या का सच

क्या है अयोध्या का सच कौन  जाने सब मस्त है मंदिर  की धुन मे किसको सुध आम जनता की नेता कहते नहीं बनेगा संत कहते बनेगा राम जी का ठिकाना नहीं क्या होगा राम जी का सब अपनी रोटी सेकते  है, अयोध्या फिर सुर्खी में है संत मंदिर बनवा ही लेंगे जनता जी किसी की सुध नहीं है सब राम में मस्त है चनाव आ गए है अब  संतो को याद आई की मंदिर बनना है सब राम का मंदिर चाहते है पर जिन के पास घर नहीं है उनके घर कैसे बने ये नहीं कोई सोचता क्या होगा राम का मंदिर बना कर जब उसके भक्तो के पास ही रहने को छत नहीं

राखी का बंधन

राखी का त्यौहार लगता है प्यारा भाई- बहन का प्यार होता है सच्चा सबसे सच्चा रिश्ता होता है भाई - बहन का भाई करता है हर समय बहन की रक्षा हर साल आता है  यह त्यौहार और लता है खुशिया अपार सरहद पर वीर जवानो के लिए राखी  का बंधन होता है अपने देश के सरहदों को बचने के लिए राखी है पावन  पुनीत आओ संकल्प ले हम इस राखी पर बचायेंगे हर बहना की लाज 

पत्थरों का शहर

पत्थरों  के इस शहर में किस  से दिल  लगाऊ हर कोई लगाये  है चहेरे कोई नहीं लगता है अपना  किस से दर्द बताऊ पत्थरों के शहर में न दिलहै न जज्बात, हर कोई लगता है झूठा कैसे  हाल बताऊ सब कोई हँसते है हम पर का से दर्द बताऊ पत्थरों के शहर में हर कोई हेरान है

ये कैसी स्वतंत्रता

 फिर आया १५ अगस्त  क्या  लाया एक और दिन न याद आते है शहीद  और न  उनका बलिदान बस याद आता है लडू और    कुछ  नहीं  क्या  यही रह गयी है  स्वतंत्रता ये कैसी  स्वतंत्रता  है? बच्चो  को क्या पता क्या  होता है बलिदान क्या है देश भावना एक  दिन मना लेने  से हो  जायेगा   ये दिन  पूरा फिर हो जायेंगे हम गुलाम और फिर कैसी  स्वतंत्रता और क्या इस दिन का  काम 

सावन में प्रेम की की बूंदे

सावन में   जब गिरती है बूँद तो  भीग जाता है  तन मन और नाचने लगता है, ऐसा  लगता है  हर तरफ छाया है प्रेम  खुमार और सभी मस्त है सावन की   फुहारों में, हर फूल कली  कह रही है सावन में भीगने का मन करता है प्यार का  अहसास होता है सावन में हर कोई खुश है सावन की बूंदों में नदी सुमंद्र  से   मिली सावन में   बादल   मिले बादलो से ऐसा लगा दो  प्रेमी मिल रहे  इस  सावन में