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नवंबर, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पानी

पानी क्या है? जल की धारा जिसमे  में  मिल  जाये हो जाये  उसकी  तरह, तो क्यों हम नहीं  हो पाते पानी की तरह  निर्मल, पानी है जीवन ये न हो तो जीवन है बेकार  फिर भी हम नहीं समझ पाते इसका मोल, आदमी का जीवन पानी  की तरह हो निर्मल  तो कितना अच्छा हो पर हम लड़ते रहते  है, ये जीवन मिला एक बार तो क्यों हम व्यर्थ  गवाते है? पानी की  तरह  हमें निर्मल होना  होगा तभी  ये जिन्दगी होगी सार्थक गरिमा  

दिवाली

दिवाली है रौशनी का त्यौहार खुशियों  की है बहार,   हर कोई है रौशनी में नहाया हुआ काली  रात में जगमग होती सारी दुनिया फिर भी कही है खाली पन क्या है वो कुछ लोगो की गरीबी कहती  है  हमारी तो क्या दिवाली क्या होली हमरे लिए तो सब दिन होते एक बराबर क्या होली क्या दिवाली कैसी बिडम्बना है कुछ लोग तो बढ़िया दिवाली है मनाते और कुछ लोग रौशनी देखकर  खुश हो जाते जाते है

धूल

धूल   क्या है, एक  छोटा सा कड पर आख में पड़  जाये तो आख खराब हो जाती है क्यों  कोई उसे  कम जानता है,  जिस तरह एक छोटा सा कड़ कही चला जाये तो उस हिस्से में दर्द होता है वैसे ही अगर  राजा हो  या  रंक सब एक बराबर है कोई   न बड़ा न कोई छोटा किसी को दर्द दो तो दर्द  देता है धूल हमें सीखता है की छोटा आदमी भी उतना ही खास होता है  भी कुछ गुर होते है तो अभिमान नहीं करना  चहिए, जब आंधी  आती है तो सब खत्म हो जाता है