प्रेम
प्रेम  एक शब्द है,
प्रेम एक विश्वास है
प्रेम एक फूल है,
जो कभी मुरझाता नहीं
चारो तरफ फेलता है
खुशबु
प्रेम एक चांदनी है
जो हर रहती  तरफ खिली रहती है
प्रेम एक खुशबु  है
जो  सारे जहा  महकाती  है 
फिर भी इन्सान
प्रेम को  नहीं समझ पाटा
हर समय  लड़ता है
प्रेम  से बड़ी कोई चीज़
दुनिया में नहीं है
इसी की बदोलत तो
दुनिया में अमन चैन  है
प्रेम उपासना है
पूजा है
क्रिशन  है
राधा है
मीरा है प्रेम 

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत खूब!


सादर
विभूति" ने कहा…
प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति......
ANULATA RAJ NAIR ने कहा…
बहुत सुंदर....

प्रेम सा कोई और एहसास नहीं.....

अनु

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