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मार्च, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
चुप रहना क्यों? आज सब जगह मारामारी है  पर हम चुप है , लोग पागल हो रहे है  पर हम चुप है, पढाई   का बुरा  हाल है   पर हम चुप है, हर  तरफ  दहेज का बोलबाला है  पर हम चुप है, जल  रही है बेटिया  पर हम चुप है, भूख  से जनता मर रही है  पर हम चुप है, हर  तरफ कालाबाजारी है  पर हम चुप है, क्या होगा जब   ऐसे ही चुप रहेंगे पर हम चुप ही रहेंगे    
  बेटिया बेटिया होती है कितनी प्यारी  सबके आखो की राजदुलारी  फिर भी लोग क्यों समझते है बोझ  बेटे से जादा काम आती है बेटिया  हर समय माँ, बेटी, बहन बनकर  सबको प्यार देती है बेटिया  क्यों नहीं समझते लोग इनका मोल  हर सुख दुःख में ढाल बन   कर खड़ी है बेटिया  फिर क्यों इन्हें मार देते है कोख में  बेटी न रही तो क्या होगा इस समाज का  बेटी तो घर की रौनक है  ये कोई क्यों नहीं जानता? बेटी को  घर  की लक्ष्मी  बनाओ        
पूजा में फल क्यों चढ़ाये जाते है? पूजन में देवी-देवताओ को नेय्वेध्य के बाद फल चढ़ाये  जाते है.  फल पूरे होने का प्रतीक है फल चढ़ाकर हम अपने जीवन को सफल बनाने की कामना भगवान से करते है  मौसम के अनुसार पाच प्रकार के फल भगवान को चढ़ाये जाते है शक्ति अनुसार कम भी चढ़ा सकते है फल मीठे, रसदार, रंग और सुगंध से भरे होते है.

घोटाला ही घोटाला

क्या   बात   है   अपने   देश  की  , हर  जगह  है  gohtala  ही  घोटाला  कभी  चारा , तो  कभी  2G तो  कभी   कोयला  घोटाला  नेता  अमीर  होते   जा  रहे  है , किसी  को  जनता  से   कोई  लेने  देना  नहीं  सब  घर  भर  रहे  है  अपना  न  किसी  का  डर है  इन्हें , पता  नहीं  कितनी  भूख  है  सब ले  जायेंगे  अपने  साथ  क्या  ऐसा  होता  है ? बच्चे  उड़ाते  है  वाइन जनता  मर  रही  है  भूखे  पैर  किसे  hai  खबर  29 रूपए . कमाने वाला  भी  अमीर  हो  गया  तो  क्यों  ने  नेता   कमाए  29 हज़ार  करोड़ 
गर्मी ये गर्मी क्या बात है न कोई तिनका हरा न पंछी की आवाज़ सुबह तो मंद बहार मिले फिर वही तपा देती है, पेड़ पौधे सूखने लगते है , बूँद बूँद को तरसते लोग क्या  गर्मी है सभी परेशान है  किसान पसीना बहा कर अपने खेत में काम कर रहे है पर गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही है सभी प्यासे है पानी के लिए धरती भी बंजर नज़र आ रही है      
दुनिया में गरीबी खत्म २९ रुपये कमाने वाला भी अब अमीर है, क्या बात है कोई गरीब नहीं सब अमीर हो गए पर आज नेता गरीब हो गए क्योकि नेता तो वो भी नहीं कमाते उन्हें तो बस  छीनना आता है और इस से कोई अमीर नहीं बनता है  भारत अमीर हो गया  
समय बहुत बलबान पर समय का महत्व जिसने न जाना वो हीरो से जीरो बन गया हमारे देश में समय का कोई नहीं है महत्व समय पर जो न करता है काम , समय उसकी क़द्र नहीं करता समय बहुत है  अनमोल बीता समय वापस नहीं आता इसलिए हर काम करो समय पर नहीं तो पछताओगे जिन्दगी भर जिन्दगी है छोटी और काम है बड़े सो कैसे होंगे पूरे अगर समय ही न रहा तो समय का महत्व जानो क्योकि समय बहुत बलबान            
जंगल  कट गए बंगले बन गए हरी रंग की धरती काली पीली हो गयी  कट रहे है पेड़ गुम रहा है  जंगल कैसे होगी बारिश कौन देखेगा हरियाली  रोज रोज बनते बंगले रोज रोज कटते जंगल क्या होगा प्रक्रति का या तो होगी धूप या होगी ठण्ड जंगल ऐसे ही कटे तो क्या होगा प्रक्रति का          
पानी  पानी  की  हर  बूँद  है  अनमोल  इसका  नहीं  है कोई   मोल हर बूँद है गोल  गोल पानी को तरसते है लोग नहीं समझते है इसका मोल तभी  तो बहाते है  इसे पानी ही सब कुछ है ये नहीं जानते है लोग गर पानी न रहे तो प्यासे ही रह जायेंगे लोग पानी है जरुरत सबकी क्यों नहीं समझते है नदी और समुन्द्र सब जाते है सूख नहीं बचाया अगर पानी      तो चिलायेगे लोग पानी पानी पर पानी  कहा से आएगा ये नहीं जानते है सब लोग       
कल किसने देखा है क्या कल कभी आता है सब  लोग काम कल पर देते है छोड़ क्या होता है कल किसी ने न देखा किसी ने न जाना आज में जीना होता है कल का कोई काम पूरा नहीं होता जो लोग जीते है आज में वाही होते है सफल कल जिन्दगी रहे न रहे तो सारे काम कर लो आज ही कल क्या ठिकाना कोई गिला न रहे हमें की शायद ये काम आज ही कर लिया होता पूरा तो आज पछताना नहीं पड़ता क्योकि कल कभी नहीं आता तो क्यों जीते है कल में आज ही कर लो हर तमन्ना पूरी क्या पता कल हो न हो             
फूल क्या होता है, क्या सोचा है किसी ने, जब कली का रूप लेता है, तो कितना प्यारा  लगता है और जब खिल जाता है तो उसकी सुगंध चारो और बिखर जाती है बिखर और चार दिन बाद वो जाता है मुरझा और हो जाता है उसका अस्तित्व्य ख़तम ऐसे ही जीवन है मनुष्य  का    जन्म लिया अपनी खुसबू बिखेरा और मिल गया पंच्त्व्य में कितनी समानता  है  दोनों में तब क्यों लड़ते है हम लोग आपस में क्यों न फूल की तरह हम बिताये जिन्दगी को  
राजनीति में सब जायज है  राजनीति है क्या? कभी सोचा है किसी ने मुझे तो लगता  है की एक भेड़ चाल है, जिस तरफ एक मुड़ा सब उसी तरफ हो लिए यही है राजनीति समाज को धर्म जाति के  आधार पर बाटना हर तरह के लुभावने वाद्ये करना और उसके बाद भूल जाना की हमने कोई वायदा किया था जनता से पाच साल के बाद याद आता है जनता भी कोई है जिनके वोट से हमें जीतना है, क्या करे जनता जब कुछ गलत होता है तो जाग जाती है और फिर कुछ समय के बाद सो जाती है क्या होगा ऐसे देश का है आदमी परेशान है पर क्या करे किसी को तो चुनना है एक सर्कार जाती है तो दूसरी आती है पर जनता का कोई भला नहीं होता होता कौन सोचेगा जनता के बारे में जो गरीब है वो और गरीब हो रहे है जो अमीर है वो अमीर हो रहे है ऐसी राजनीति का क्या फायदा इसलिए तो राजनीति में राजनीति में सब जायज है
छोटा बच्चा करता जिद होली खेलने के लिए रंग में सबको भिगोने के लिए पर क्या करे वो कोई नहीं है ऐसा जिस पर रंग डाले हर समय पूछता मम्मी से किस पर रंग डालू में   मम्मी कहती बेटा बाहर जाओ सब बच्चो के साथ  खेलो पर वो छोटा बच्चा बाहर जाने से है  डरता   पापा  को  है रंग लगाता मम्मी को है डराता होली में रंगे पुते लोगो को देखकर डर जाता फिर कहता धीरे से अब न खेलूँगा में होली