एक बच्चा छोटा सा
जो दुनिया के तीन पाच नहीं जानता
जब मिलता है  ऐसे लोगो से
जो गलत होते है तो वो भी उसी
रंग में रंग जाता है
क्या गलती है उअस बच्चे की
वो जो देखता है वही सीखता है
फिर क्यों कहते है लोग
की उस बच्चे को देखो
कैसे लड़ रहा है
किसने सीखाया उसे लड़ना
वो तो नहीं कही से सीख कर आया था
उसका क्या दोष
जो देखेगा वही सीखेगा
तो क्या उसे जीने का हक नहीं है
क्यों न उसे सीखाये प्यार की भाषा
तभी तो होगा अमन और चैन
न होंगे लड़ाई और न किसी से बैर  
  
   

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत ही बढ़िया

सादर

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