एक छोटी सी गुडिया प्यारी 
करती है अपनी मनमानी
न सोती न जगती है 
सबको हैरान करती है 
अपनी जिद मनवाती है 
कैसे होते है बच्चे प्यारे 
वो गुडिया है सबकी प्यारी 
पापा की तो राजदुलारी
मम्मी की है जान वो सारी
दादा दादी की राजकुमारी 
गुडिया जब सोती है 
तो वो सपने  में हसती है 
कितना  प्यारा  होता  है इनका जीवन 
न कोई चिंता न कोई फिकर 
ऐसे ही होता काश हमारा जीवन

 









टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
वाह ! बहुत ही बढ़िया।

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