मौसम 4 होते है
लेकिन भारत में पाचवा भी होता है
जो चुनाव का होता है
ठण्ड में भी गर्मी का अहसास कराता है
हर पार्टी  में उठ्पतक हो रही है
जनता  हैरान   है
क्या करे क्या न करे
जिसे अच्छा समझा
वाही गलत निकल गया
sabhi ek ही  सिक्के के दो पहलू है
सब अपनी रोटी सकते है
जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं
तभी तू पाच साल बाद जनता याद आती  है
क्या करे जनता  भी
हमेशा  ही ठगी  जताई  है
और जनता जब  ठग  जाती  है
तो उन्हें लगता है की हमने
गलत लोगो को चुन लिया
सबसे अच्छी  बात तो ये होती है
जो पढ़े लिखे लोग है
वो तो वोट डालते  ही  नहीं
और बहस करते है ये पार्टी
अच्छी है या नहीं
क्या मतलब है इसका
यही  न की बहस कर लो की ये
पार्टी अच्छी नहीं है
 वो कुछ करेंगी नहीं
क्या होगा बहस का
उससे कोई हाल तो निकलता  नहीं
बात न करके काम  करे तो जायदा
अच्छा होगा 
    
      
  
  
   

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
सही लिखा है आपने।

सादर

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