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नेता / भगवान

क्या करे  नेता और भगवान की तुलना,  जैसे नेता इंतजार  करवाते है   लोगो को मिलने का उसी तरह भगवान भी इंतजार करवाते है  अपने  भक्तो को बड़ी समानता  है दोनों में नेता  तो पाच साल में अपने लोगो की सुध ले लेते है, पर भगवान  को तो कई साल लगते है  मनाने में अगर मान गए तो  समझो बात  बन गयी और नहीं  तो सब बेकार क्या तुलना करे हम दोनों की दोनों है बहुत महान 

पानी

पानी क्या है? जल की धारा जिसमे  में  मिल  जाये हो जाये  उसकी  तरह, तो क्यों हम नहीं  हो पाते पानी की तरह  निर्मल, पानी है जीवन ये न हो तो जीवन है बेकार  फिर भी हम नहीं समझ पाते इसका मोल, आदमी का जीवन पानी  की तरह हो निर्मल  तो कितना अच्छा हो पर हम लड़ते रहते  है, ये जीवन मिला एक बार तो क्यों हम व्यर्थ  गवाते है? पानी की  तरह  हमें निर्मल होना  होगा तभी  ये जिन्दगी होगी सार्थक गरिमा  

दिवाली

दिवाली है रौशनी का त्यौहार खुशियों  की है बहार,   हर कोई है रौशनी में नहाया हुआ काली  रात में जगमग होती सारी दुनिया फिर भी कही है खाली पन क्या है वो कुछ लोगो की गरीबी कहती  है  हमारी तो क्या दिवाली क्या होली हमरे लिए तो सब दिन होते एक बराबर क्या होली क्या दिवाली कैसी बिडम्बना है कुछ लोग तो बढ़िया दिवाली है मनाते और कुछ लोग रौशनी देखकर  खुश हो जाते जाते है

धूल

धूल   क्या है, एक  छोटा सा कड पर आख में पड़  जाये तो आख खराब हो जाती है क्यों  कोई उसे  कम जानता है,  जिस तरह एक छोटा सा कड़ कही चला जाये तो उस हिस्से में दर्द होता है वैसे ही अगर  राजा हो  या  रंक सब एक बराबर है कोई   न बड़ा न कोई छोटा किसी को दर्द दो तो दर्द  देता है धूल हमें सीखता है की छोटा आदमी भी उतना ही खास होता है  भी कुछ गुर होते है तो अभिमान नहीं करना  चहिए, जब आंधी  आती है तो सब खत्म हो जाता है

विश्वास

मन में है विश्वास   लड़ जायेंगे तूफानों से,  इस  वीरान पड़ी जिन्दगी में कुछ पल गुदगुदाएँगे, हम वो है जो लहरों से भी नहीं है घबराते, ये विश्वास है की हम न हारेंगे कभी न थकेंगे न रुकेंगे आगे बढ़ते जायेंगे है मन में यह विश्वास रोक  न पाया कोई हमको चाहे  आये कोई तूफ़ान , तूफानों में लो जलाना है हमारा ही काम है मन में यह विश्वास

गरीबी

गरीबी क्या  है? कुछ भी तो नहीं जो लोग जो गरीबी  की रेखा के नीचे है, वो भारत शब्द का इस्तेमाल करता है और जो बुदीजीवी है वो इंडिया का क्या बात  है, कुछ लोग अन्न के लिए तड़पते है और नेता कहते  है, गरीबी खत्म पर गरीबी खत्म कहने पर वो अपनी रोटी कैसे सकेंगे बस एक आश्वाशन पर सबको  टहलाया करेंगे 

माँ

माँ  भावना  है   अहसास है, माँ जीवन है अनमोल है, माँ बच्चे की लोरी है, माँ अहसास है उन सुखद पलो का, माँ धरा है जिसकी कोई सीमा नहीं, आसमान है जिसे कोई सीमा नहीं, माँ झरना है मीठे पानी का माँ होती है त्याग की मूर्ति माँ  का कोई  मोल नहीं माँ के बिना  दुनिया  अधूरी है , माँ जैसा कोई हो नहीं  सकता माँ के कदमो में स्वर्ग है, ऐसी माँ को में कोटि कोटि वंदन करते है 

किसान

किसान  के हाथ  में  कुदाल न हो  क्या  होगा? सोचा है किसी ने किसान जो हल चलाता  है, उसको कितनी  मेहनत करनी पड़ती है , फिर भी एक नमक की डली के लिए उसे किसी का मोहताज  होना पड़ता है, क्या होगा  किसानो का, जो अपनी धरती को छोड़कर जा रहा है कौन बचायेगा इन्हें जैसे डायनासोर खत्म हो गए वैसे ही किसान भी ख़त्म हो जायेंगे ओए और हर तरफ होंगे घर ही घर

विरासत

हमें नदिया फूल पानी सब मिला विरासत में,  फिर हम इसे क्यों करते है बर्बाद, ये न हो तो क्या जीवन संभव है पर हम इन्हें बर्बाद कर रहे  है फिर कोसते   है  भगवान को की  बारिश  नहीं हो रही  है सूखा पड़  रहा है, जो हमें मिला है उसकी हम रक्षा नहीं कर पा  रहे है, तो भगवान् को क्यों  दोष देते है जो हमें मिला उसकी रक्षा करे, और पेड़ लगाये अपनी विरासत को बचाये

पानी

पानी का हो रहा व्यापर, हर तरफ हो रह है मारामार पानी भी बिकता है bबोलो क्या होगा उनका जो पीते है कोका कोला गर पानी न हो धरती पर तो होगा क्या सोचा है किसी न बिन पानी न अन्न उगेगा न ही भोजन बनेगा पानी ही देता है जीवन के होगा अगर पानी न होगा पानी जीवन है, इसको बर्बाद न करे
राखी राखी है त्योहार प्यार और मिठास का, भाई और बहन के प्यार का जो अनमोल है जिसका कोई  मोल  नहीं है ये बंधन बहुत ही मजबूत बंधन है इसमें प्यार भी लड़ाई भी जब बहना चली जाती है तो भाई सबसे ज्यदा  रोता है लड़ता भी है, हर बात बताता भी है भाई बहन का ये पर्व बहुत ही पावन  है, ये रिश्ता हर रिश्ते से बढ़कर  है 
कतार   हर जगह कतार  है, फ़ोन भी बोलता है आप कतार में है, कब खतम होगी, ये कतार पता  नहीं लोग बढ़ते जा रहे है हर तरफ मारामारी है सबको जल्दी है, कतार से बहार आने की पर क्या करे कतार इतनी लम्बी है,  और बढती जा रही है, चाहे वो डॉक्टर के यहाँ हो या हो रेलवे में अब  तो नौकरी में भी कतार है लोग इंतजार कर  रहे है अपने नंबर  का कब आएगी पता नहीं कतार कब होगी खतम कहना मुश्किल है 
 जिन्दगी क्या है जिन्दगी बाधा का नाम  या जीने का नाम लोग जिन्दगी को बोझ समझ कर जीते है कट रही है  कहते है क्या जिन्दगी   काटने का नाम है, या जीने का नाम है और जीना भी कैसा जो किसी के काम आ सके ,  और किसी रोते हुए के आसू पोछ सके, जिन्दगी बहुत खुबसूरत है, जीना सीखो  और  किसी के काम आना,  जिन्दगी के केवल  रोने का नाम नहीं है,  हसना और मुस्कुराने का नाम है  
चिड़िया चिड़िया तू मगन घूमे मगन कहा  जाना है नहीं पता बोली पवन कहा है  तेरा ठिकाना चल  ऊड  एक पेड   से दूसरे पेड  तक जहा हो तेरे सजन पेड़ो की डाल  पर  नदी के  किनारे, जहा मन हो वही पंख फेलाकर ऊड जाना कही  दूर  देश को, जहा से  तुम्हे मिले अपनी डगर   कोई पहचान नहीं कोई  अरमान नहीं ऊड  रहे है आसमान में, जा अपनी दुनिया में जा कोई नहीं  पहचानता तुझको जा चिड़िया  ऊड जा अपने घर  को  फिर हो जा मगन

आसमान

आसमान  नीला होता है, कितना विशाल होता है इतना विशाल जिसके नीचे सभी समा जाते   है  ऐसे  ही  मन  होता है  जो सब कुछ समेटे होता है आसमान की तरह दुःख हो या सुख  सब कुछ छुपा लेता है जब प्रक्रति  अपना रंग  बदलती है तो सब बदल जाता है आसमान नीला से काला हो जाता है जब दुःख आता है तो, मन  दुखी हो जाता है सब कुछ काला लगता है अच्छी  बाते  भी बुरी लगती है तो  कितनी समानता है मन और आसमान में

नशा

नशा  क्या  है?   नशा  जो  सब  पर  सवार होता है  एक नशा जो शराब का होता है  और एक जो काम का होता है, काम का नशा सबको  होना चाहिए और  सारे नशा बेकार  है , लोग अपनी जिन्दगी धुँए  में  उड़ा देते है  और कहते है इसके  नशे  में जिन्दगी  गुजार देंगे  नशा  तो जिन्दगी का  होना चाहिए अगर जिन्दगी धुएं  में उड़ा दो तो  क्या लाभ इस जिन्दगी का  नशे से बहार आये  और जिन्दगी   को हसीन बनाये
हवा  हवा क्या  है? किसी ने देखा क्या   सिर्फ  महसूस  किया की हवा है  ऐसे ही कुछ रिश्ते होते है  जिन्हें सिर्फ महसूस किया  जा सकता है, हवा और  रिश्ते  कितने सामान होते है   हवा  हल्की होंती  है शीतलता  देती है  मन को शांति प्रदान प्रदान  करती है  कुछ रिश्ते ऐसे होते है  जो बहुत प्यारे होते है  जिनका वजूद कुछ नहीं होता  पर वो होते है सबसे  अनमोल  हवा की तरह दिखायी नहीं देते  मन को शांति प्रदान करते है  हवा  जिसे देखा नहीं जा सकता  बस महसूस किया जा सकता है   
 समय  समय बहुत बलवान, हर घाव भर देता है  समय बता देता है, की कौन सा वक़्त सही है  समय मुझे  बताओ  की  में कैसे किसी के   दुःख को कम कर दू  समय सुनाओ उसकी कहानी  जो दूर देश से आता था, कैसे  सबके आसू पोछकर  खुशिया वो विखरता था, समय मुझ को बताओ  की कैसे में दुनिया में खुशिया  की रौशनी विखरा सकू  समय तुम तो सब जानते हो, तो कोई  गीत गुनगुना दो जिससे अँधेरा दूर   हो      
प्रेम प्रेम  एक शब्द है, प्रेम एक विश्वास है प्रेम एक फूल है, जो कभी मुरझाता नहीं चारो तरफ फेलता है खुशबु प्रेम एक चांदनी है जो हर रहती  तरफ खिली रहती है प्रेम एक खुशबु  है जो  सारे जहा  महकाती  है  फिर भी इन्सान प्रेम को  नहीं समझ पाटा हर समय  लड़ता है प्रेम  से बड़ी कोई चीज़ दुनिया में नहीं है इसी की बदोलत तो दुनिया में अमन चैन  है प्रेम उपासना है पूजा है क्रिशन  है राधा है मीरा है प्रेम 
ऐ हवा  ऐ हवा कहा हो तुम, कभी मेरे दर पर भी आया करो  और दे जाया करो कुछ मीठी यादे , जो  सम्हाल कर रखी है तुमने   शाम ढलने वाली है  और  मंद मंद हवा  कुछ संदेसा ला रही है  ऐ चाँद  तुम अपनी चांदनी  की इनायत कर दो  मेरे इस  सूने घर में  कुछ रौशनी कर दो, वैसे मैंने रौशनी के लिए  चिराग भी जलाये है बहुत  पर हवा के एक बयार से  वो चिराग  भी बुझ गए  ऐ हवा तुम आ जाओ  और दे जाओ मीठी मीठी याद   
नारी  नारी क्या है? किसने जाना    कोई उसे देवी मानता  तो कोई पैर की जूती  नारी नाम है स्वाभिमान का  न की अपमान का, तभी तो आज नारी  हो रही है कम  ममता का भी हो रहा अपमान  क्यों उसे सहना पड़ता है अपमान  क्या वो एक इन्सान नहीं है, क्यों वो सहे सबके अपमान  नारी को देवी के रूप में है पूजते  और फिर उसकी का करते है अपमान  क्यों न हम समझे की वो भी एक इन्सान  और उस की इज्ज़त करे 
क्या  लिखू  आज  मन बहुत उदास है  होने वाली कोई   बात है  दिन  भी  बहुत  ख़राब   है, सब कुछ उजड़ा उजड़ा है  फिर भी लगता अपना है क्या  लिखू कैसे लिखू  समझ नहीं आता है  सारी दुनिया लगती बेगानी छाया हुआ पतझड़ है, सब कुछ बिखरा बिखरा है, लगता है खो जाओ कही  अँधेरे में  न कोई  खोज पाए  गुम हो जाऊ किन्ही तंग गलियों में    सब कुछ गड़बड़ सा  लग   रहा   है  लगता है ऐसे  आ रहा है  कोई दबे पाँव    कौन है लगता है  यमराज तो नहीं है  जो  आ गया  हो लेने   मुझे                 
आखे कितनी प्यारी है तुम्हारी आखे कुछ अच्छा देखती है कुछ बुरा पर अगर आखे न हो तो कितनी वीरान लगती है दुनिया सारी, आखे खुली तो सब कुछ सुहाना और बंद हो तो रोये जमाना सारा आखे है कितनी अनमोल इसका नहीं कोई मोल कितनी प्यारी चीज़ दी है भगवान ने, पर इनसे हम देखते है, दुनिया की बुराई, क्यों नहीं देखते है अच्छी बाते जब बंद होती है हमारी आखे तो लोग कहते है वो अच्छा था पर अब क्या अब तो आखे हो गयी बंद              
लड़की  लड़की क्या   होती   है  एक   मोम   की   गुडिया   जिसने चाह खेला और ठुकरा दिया  क्या उसका  दिल नहीं होता, क्या उसके अरमान नहीं होते  क्यों सभी कहते है वो उसकी मर्जी से चले  लड़की होना क्या गुनाह है? तभी तो सभी उसे पसंद नहीं करते  वो जातना नहीं जानती, वो तो बस देना जानती है  फिर भी सभी उसे गलत  तरीके से देखते है, बस उसे सबकी बात माननी है  उसके दिल का हाल कोई नहीं समझता  क्यों क्या उसके मर्जी नहीं होती  लोग कब समझेंगे की  लडकियों में भी जान होती है, और उन्हें भी जीने का हक़ है                    
क्यों टूट रहे  है रिश्ते  मैं की भावना हो दिल में, तो हर रिश्ता गलत लगता है  इसी का खामियाजा सबको मिलता है  पर हम  लोग चूर है   सुख खोजने में जो है उसकी कदर नहीं  जो नहीं है उसके लिए लड़ रहे है  इसलिए टूट रहे रिशते  हम किसी की कदर ही नहीं करते  आज अहम् की भावना बहुत है  सुख की खोज बड़े घर, बड़े कार में जा रहा है खोजा  सब अपने में है चूर कोई किसी नहीं चाहता है समझना  सब मस्त है अंधी दौड़ में जो ये समझ ले की अहम् कुछ नहीं होता  तब रिश्ते टूटने से बच सकते है             
खुशी को  ढूँढना  खुशी को कौन पा पाया है आज सभी दुखी है  और नकली हंसी लगये घूम रहे है, और बड़ा घर, पैसे, बड़ी कार  पर  क्या खुशी  इसमें मिलती है, ये बड़ा कठिन सवाल है  खुशी तब मिलती है  जब हम किसी की होठो पर  ला सके मुस्कान  जब आप किसी भूखे  इन्सान को खाना खिलाये तब   मिलती है खुशी  पर आज की दुनिया में कोई नहीं पोछता किसी   के आसूं  तो नकली खुशी से सब खुश है  क्यों नहीं पाते सच्ची खुशी         

पिता

हर एक का ध्यान रखते  सबको गले लगाते है  हमारी गलतियों को माफ़ करते, हमें सही राह दिखाते  पापा बहुत याद आते  है, वो हमारी तोतली बोली  पर हर मांग हमारी पूरी करते  गलती पर डाट लगाते  पर मन में पछताते  ऐसे होते है पिता  पर सब माँ  कोई  ही देते मान  पिता भी होते ममतामयी      ये हम क्यों न समझ पाते  

किसान

किसान खेत में हल चलाता  कितनी मेहनत से फसल उपजाता, फिर भी क्यों रहता है भूखा  ये कोई समझ न पाता, क्यों उसके बच्चे जीते  तंग हाल जिन्दगी  जब की अगर किसान न हो  तो सब रह जाये भूखे, पर कोई समझ न पाता, उसका दर्द वो है क्यों दुखी  सब उसको मिलकर लूटते, वो न कह पाता किसी से सारे दिन हल जोतता, पर वो न हो पाता सुखी क्या वो इन्सान नहीं नहीं  कोई क्यों नहीं समझ पाता             
प्रकत्ति कितनी  ताकतवर  प्रक्रत्ति कितनी ताकतवर है  ये सभी  जानते है, फिर भी उससे करते है खिलवाड़  प्रक्रति शांत है, पर जब हम उसके साथ करते  है खिलवाड़  प्रक्रति हरी है, पर हम उसे सुखा रहे है  हर तरफ मकान बनाकर, पर जब प्रक्रति लेती है अपना बदला तो आते है तूफ़ान, सूखती है धरती  पर हम इन्सान नहीं समझ  पाते, प्रक्रति से पंगा नहीं  लिया जाता  प्रक्रति से प्यार किया जाता है            

बहुत मुश्किल है

नदियों में पानी रह पाना, पानी की बूँद बूँद बचाना  बहुत मुश्किल है, जंगल को बचाना, हरियाली का रह पाना  बहु मुश्किल है, चिडयों का  पेड़ो पर घोशला बनाना  बहुत मुश्किल है, पेड जैसे कट रहे है  कोयल का गाना  बहुत मुश्किल है, ठंडी हवा का चलना मघो का बरसना  बहुत मुश्किल है, नदियों में कल कल की आवाज़  आने वाली पीढ़ी कैसे सुन पायेगी  उन्हें नदियों का ज्ञान करना  बहुत मुश्किल  है      
चुप रहना क्यों? आज सब जगह मारामारी है  पर हम चुप है , लोग पागल हो रहे है  पर हम चुप है, पढाई   का बुरा  हाल है   पर हम चुप है, हर  तरफ  दहेज का बोलबाला है  पर हम चुप है, जल  रही है बेटिया  पर हम चुप है, भूख  से जनता मर रही है  पर हम चुप है, हर  तरफ कालाबाजारी है  पर हम चुप है, क्या होगा जब   ऐसे ही चुप रहेंगे पर हम चुप ही रहेंगे    
  बेटिया बेटिया होती है कितनी प्यारी  सबके आखो की राजदुलारी  फिर भी लोग क्यों समझते है बोझ  बेटे से जादा काम आती है बेटिया  हर समय माँ, बेटी, बहन बनकर  सबको प्यार देती है बेटिया  क्यों नहीं समझते लोग इनका मोल  हर सुख दुःख में ढाल बन   कर खड़ी है बेटिया  फिर क्यों इन्हें मार देते है कोख में  बेटी न रही तो क्या होगा इस समाज का  बेटी तो घर की रौनक है  ये कोई क्यों नहीं जानता? बेटी को  घर  की लक्ष्मी  बनाओ        
पूजा में फल क्यों चढ़ाये जाते है? पूजन में देवी-देवताओ को नेय्वेध्य के बाद फल चढ़ाये  जाते है.  फल पूरे होने का प्रतीक है फल चढ़ाकर हम अपने जीवन को सफल बनाने की कामना भगवान से करते है  मौसम के अनुसार पाच प्रकार के फल भगवान को चढ़ाये जाते है शक्ति अनुसार कम भी चढ़ा सकते है फल मीठे, रसदार, रंग और सुगंध से भरे होते है.

घोटाला ही घोटाला

क्या   बात   है   अपने   देश  की  , हर  जगह  है  gohtala  ही  घोटाला  कभी  चारा , तो  कभी  2G तो  कभी   कोयला  घोटाला  नेता  अमीर  होते   जा  रहे  है , किसी  को  जनता  से   कोई  लेने  देना  नहीं  सब  घर  भर  रहे  है  अपना  न  किसी  का  डर है  इन्हें , पता  नहीं  कितनी  भूख  है  सब ले  जायेंगे  अपने  साथ  क्या  ऐसा  होता  है ? बच्चे  उड़ाते  है  वाइन जनता  मर  रही  है  भूखे  पैर  किसे  hai  खबर  29 रूपए . कमाने वाला  भी  अमीर  हो  गया  तो  क्यों  ने  नेता   कमाए  29 हज़ार  करोड़ 
गर्मी ये गर्मी क्या बात है न कोई तिनका हरा न पंछी की आवाज़ सुबह तो मंद बहार मिले फिर वही तपा देती है, पेड़ पौधे सूखने लगते है , बूँद बूँद को तरसते लोग क्या  गर्मी है सभी परेशान है  किसान पसीना बहा कर अपने खेत में काम कर रहे है पर गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही है सभी प्यासे है पानी के लिए धरती भी बंजर नज़र आ रही है      
दुनिया में गरीबी खत्म २९ रुपये कमाने वाला भी अब अमीर है, क्या बात है कोई गरीब नहीं सब अमीर हो गए पर आज नेता गरीब हो गए क्योकि नेता तो वो भी नहीं कमाते उन्हें तो बस  छीनना आता है और इस से कोई अमीर नहीं बनता है  भारत अमीर हो गया  
समय बहुत बलबान पर समय का महत्व जिसने न जाना वो हीरो से जीरो बन गया हमारे देश में समय का कोई नहीं है महत्व समय पर जो न करता है काम , समय उसकी क़द्र नहीं करता समय बहुत है  अनमोल बीता समय वापस नहीं आता इसलिए हर काम करो समय पर नहीं तो पछताओगे जिन्दगी भर जिन्दगी है छोटी और काम है बड़े सो कैसे होंगे पूरे अगर समय ही न रहा तो समय का महत्व जानो क्योकि समय बहुत बलबान            
जंगल  कट गए बंगले बन गए हरी रंग की धरती काली पीली हो गयी  कट रहे है पेड़ गुम रहा है  जंगल कैसे होगी बारिश कौन देखेगा हरियाली  रोज रोज बनते बंगले रोज रोज कटते जंगल क्या होगा प्रक्रति का या तो होगी धूप या होगी ठण्ड जंगल ऐसे ही कटे तो क्या होगा प्रक्रति का          
पानी  पानी  की  हर  बूँद  है  अनमोल  इसका  नहीं  है कोई   मोल हर बूँद है गोल  गोल पानी को तरसते है लोग नहीं समझते है इसका मोल तभी  तो बहाते है  इसे पानी ही सब कुछ है ये नहीं जानते है लोग गर पानी न रहे तो प्यासे ही रह जायेंगे लोग पानी है जरुरत सबकी क्यों नहीं समझते है नदी और समुन्द्र सब जाते है सूख नहीं बचाया अगर पानी      तो चिलायेगे लोग पानी पानी पर पानी  कहा से आएगा ये नहीं जानते है सब लोग       
कल किसने देखा है क्या कल कभी आता है सब  लोग काम कल पर देते है छोड़ क्या होता है कल किसी ने न देखा किसी ने न जाना आज में जीना होता है कल का कोई काम पूरा नहीं होता जो लोग जीते है आज में वाही होते है सफल कल जिन्दगी रहे न रहे तो सारे काम कर लो आज ही कल क्या ठिकाना कोई गिला न रहे हमें की शायद ये काम आज ही कर लिया होता पूरा तो आज पछताना नहीं पड़ता क्योकि कल कभी नहीं आता तो क्यों जीते है कल में आज ही कर लो हर तमन्ना पूरी क्या पता कल हो न हो             
फूल क्या होता है, क्या सोचा है किसी ने, जब कली का रूप लेता है, तो कितना प्यारा  लगता है और जब खिल जाता है तो उसकी सुगंध चारो और बिखर जाती है बिखर और चार दिन बाद वो जाता है मुरझा और हो जाता है उसका अस्तित्व्य ख़तम ऐसे ही जीवन है मनुष्य  का    जन्म लिया अपनी खुसबू बिखेरा और मिल गया पंच्त्व्य में कितनी समानता  है  दोनों में तब क्यों लड़ते है हम लोग आपस में क्यों न फूल की तरह हम बिताये जिन्दगी को  
राजनीति में सब जायज है  राजनीति है क्या? कभी सोचा है किसी ने मुझे तो लगता  है की एक भेड़ चाल है, जिस तरफ एक मुड़ा सब उसी तरफ हो लिए यही है राजनीति समाज को धर्म जाति के  आधार पर बाटना हर तरह के लुभावने वाद्ये करना और उसके बाद भूल जाना की हमने कोई वायदा किया था जनता से पाच साल के बाद याद आता है जनता भी कोई है जिनके वोट से हमें जीतना है, क्या करे जनता जब कुछ गलत होता है तो जाग जाती है और फिर कुछ समय के बाद सो जाती है क्या होगा ऐसे देश का है आदमी परेशान है पर क्या करे किसी को तो चुनना है एक सर्कार जाती है तो दूसरी आती है पर जनता का कोई भला नहीं होता होता कौन सोचेगा जनता के बारे में जो गरीब है वो और गरीब हो रहे है जो अमीर है वो अमीर हो रहे है ऐसी राजनीति का क्या फायदा इसलिए तो राजनीति में राजनीति में सब जायज है
छोटा बच्चा करता जिद होली खेलने के लिए रंग में सबको भिगोने के लिए पर क्या करे वो कोई नहीं है ऐसा जिस पर रंग डाले हर समय पूछता मम्मी से किस पर रंग डालू में   मम्मी कहती बेटा बाहर जाओ सब बच्चो के साथ  खेलो पर वो छोटा बच्चा बाहर जाने से है  डरता   पापा  को  है रंग लगाता मम्मी को है डराता होली में रंगे पुते लोगो को देखकर डर जाता फिर कहता धीरे से अब न खेलूँगा में होली     
होली का त्यौहार है कितना प्यारा, सब तरफ है रंगों का उजियारा हरे, गुलाबी, नीले, पीले हर रंग की  है अदा  निराली  जैसे कह रहा कोई कहानी हर कोई है मस्ती में डूब  जाना चाहता है रंगों की मस्ती में प्यार की बहार है होली का त्यौहार है गुझियो की बहार है रंगों की बौछार है नफरत का कोई न रंग है सब एक दूसरे के साथ मगन है   ठंडाई का संग है नाचने का उमंग है होली के संग है
एक बच्चा छोटा सा जो दुनिया के तीन पाच नहीं जानता जब मिलता है  ऐसे लोगो से जो गलत होते है तो वो भी उसी रंग में रंग जाता है क्या गलती है उअस बच्चे की वो जो देखता है वही सीखता है फिर क्यों कहते है लोग की उस बच्चे को देखो कैसे लड़ रहा है किसने सीखाया उसे लड़ना वो तो नहीं कही से सीख कर आया था उसका क्या दोष जो देखेगा वही सीखेगा तो क्या उसे जीने का हक नहीं है क्यों न उसे सीखाये प्यार की भाषा तभी तो होगा अमन और चैन न होंगे लड़ाई और न किसी से बैर         
आज कुछ ऐसा लगा की सब कुछ खास है सुबह की पहली किरण के साथ नयी आशाये नए सपने एक नयी आहात दे रहे है में जीना चाहती हु उन् सपनो में एक नयी दुनिया में जहा नफरत के लिए कोई जगह नहीं हर तरफ प्यार है भाईचारा है सब एक दुसरे की मदद करते है किसी को किसी से दुश्मनी नहीं है क्या ऐसी कोई दुनिया है जहा सिर्फ  प्यार हो कोई नफरत न हो सब एक दुसरे की मदद करे नहीं यह सिर्फ सपनो में ही संभव है
एक छोटी सी गुडिया प्यारी  करती है अपनी मनमानी न सोती न जगती है  सबको हैरान करती है  अपनी जिद मनवाती है  कैसे होते है बच्चे प्यारे  वो गुडिया है सबकी प्यारी  पापा की तो राजदुलारी मम्मी की है जान वो सारी दादा दादी की राजकुमारी  गुडिया जब सोती है  तो वो सपने  में हसती है  कितना  प्यारा  होता  है इनका जीवन  न कोई चिंता न कोई फिकर  ऐसे ही होता काश हमारा जीवन  
जिन्दगी एक किराये का घर है  एक न एक दिन बदलना पड़ेगा  मौत जब तुझको आवाज़ देगी  घर से बहार निकलना पड़ेगा  मौत का बजा जब सर पे डंका  फूक दी पल   में सोने की लंका  मौत जब तुझको आवाज़ देगी  घर से बहार निकलना पड़ेगा  देखना हो गर दिन सूनेहरा  शाम के बाद होगा सवेरा  पैर फूलो में रखने से पहले  तुमको काटों पर चलना पड़ेगा  ये जवानी है दो दिन का सपना  ढूंढ लो साथी कोई भी अपना  ये जवानी अगर ढल गयी तो  हाथ हाथ मल मल के रोना पड़ेगा  जिन्दगी एक किराये का घर है  एक न एक दिन बदलना  पड़ेगा '
आया  बसंत   हर तरफ छाया  खुशियों का वातावरण  जाड़े से गर्मी की और  हर तरफ पीला वातावरण  चिड़िया चहकी फूलो  ने भी आखे खोली  सूरज ने  भी गर्मी दे दी  हर जगह पीले फूलो की चादर  बिछी हुई   लगती है  मौसम भी मजे ले रहा है  हर तरफ उजाला हो रहा है  बसंत के मौसम में हर कोई  प्रक्रति में खो जाना चाहता है    हर कोई उल्लासित है  नए मौसम में  बसंत आया और सभी और खुशिया छा गयी    
देश का बड़ा  त्यौहार  है आने वाला  हर कोई खुश है उस   त्यौहार को मनाने के लिए  हर कोई रंग जाता है देश भक्ति के रंग में  ये दिन भी आया है बड़ी मुश्किल से  कितने लोगो ने जान गवाई आज कोई उसका  महत्व  नहीं समझता  सब रंगे है  अंग्रेजी fashion   में  क्या हो गया है आज के नौजवानों  में किसी में नहीं है देश भक्ति की भावना  क्या होगा इस संसार का  सभी लगे है लूटने भारत माता को  इस को नहीं है कोई बचाने वाला  ऐसे ही रह तो वो दिन दूर नहीं  जब हम फिर से गुलाम हो जायेंगे        
मौसम 4 होते है लेकिन भारत में पाचवा भी होता है जो चुनाव का होता है ठण्ड में भी गर्मी का अहसास कराता है हर पार्टी  में उठ्पतक हो रही है जनता  हैरान   है क्या करे क्या न करे जिसे अच्छा समझा वाही गलत निकल गया sabhi ek ही  सिक्के के दो पहलू है सब अपनी रोटी सकते है जनता से उन्हें कोई मतलब नहीं तभी तू पाच साल बाद जनता याद आती  है क्या करे जनता  भी हमेशा  ही ठगी  जताई  है और जनता जब  ठग  जाती  है तो उन्हें लगता है की हमने गलत लोगो को चुन लिया सबसे अच्छी  बात तो ये होती है जो पढ़े लिखे लोग है वो तो वोट डालते  ही  नहीं और बहस करते है ये पार्टी अच्छी है या नहीं क्या मतलब है इसका यही  न की बहस कर लो की ये पार्टी अच्छी नहीं है  वो कुछ करेंगी नहीं क्या होगा बहस का उससे कोई हाल तो निकलता  नहीं बात न करके काम  करे तो जायदा अच्छा होगा                       
बेरोजगारी का आलम  है सारे जगह हो रहा है लूट पाट हिंसा सारे देश में यही हाल है लोगो के पास पैसे नहीं है पर रहना तो  शान से ही है घूमना है  दोस्तों में शान दिखानी है क्या होगा आज की पीढ़ी का सब भटक रहे है कोई राह दिखने वाला नहीं है भटकते  हुए नौजवानों  को कौन  राह दिखाए   न नौकरी   है  और न ही कोई रोकने  वाला माँ बाप भी बेचारे क्या करे पढ़ा दिया काबिल बना दिया आब वो क्या करे बच्चे माँ बाप से झूट बोलकर लूट रहे है सारी दुनिया को क्या यही है देश का भविष्य       
बज गयी चुनाव की घंटी सब नेता लुभाने लगे जनता को क्या होगा परिणाम ये कोई नहीं जानता पर सभी लगे है जानता को अपनी और  लुभाने में जनता भी जानती है इनके वायदे फिर भी आ जाती है इनके वायदों में जनता का न रखते  ये ख्याल वो तो अपनी जेब सिलाते जनता रोये या मरे उन्हें कोई ख्याल नहीं वो सेकते  अपनी राजनीती की रोटिया कोई पार्टी हो या या कोई नेता सब एक ही तरह है ऐसा मुखिया हो तो क्या कहना क्या करे जनता और क्या करे नेता        
नया साल आने को है पुराना साल जाने को है कैसी विचित्र बात है की पुराने के जाने का गम मनाये नए साल के आने की ख़ुशी पुराने साल के जाने का दरर्द है क्योकि  उससे  जुड़ी  बहुत  यादे है नए  साल की ख़ुशी इस लिए  है नया साल बहुत सारी खुशिया लाने  वाला है तो नए साल का करे स्वागत नया साल लाये खुशियों की सौगात पुराने का दुःख तो रहेगा ही क्योकि यही नियम है जो आता है उसे जाना होता है